लायनवाद आचार संहिता
- अपने कार्य के प्रति उचित विश्वास व निष्ठा रखें जिसका मूल उद्देश्य सेवा हो।
- अपने कार्य के लिए उचित लाभ तथा सफलता की इच्छा रखना परन्तु अपने आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाने वाले गलत कार्य कर लाभ प्राप्त न करना।
- अपने व्यवसाय की उन्नति के लिए दूसरे व्यक्ति के व्यवसाय को हानि न पहुंचना तथा अपने सहयोगियों व ग्राहकों के प्रति सद्व्यवहार रखना व सत्यनिष्ठ रहना ।
- अपने किसी भी कार्य में नैतिक शंका होने की स्थिति में अपने विरुद्ध निर्णय लेने की क्षमता रखना।
- मित्रता को अपना ध्येय मानना न कि माध्यम। सच्ची मित्रता का आधार सेवा कार्य नहीं अपितु सेवा भावना है।
- अपने कर्तव्य को ध्यान में रखते हुए एक अच्छे नागरिक के नाते अपने समाज, राज्य और राष्ट्र के प्रति निष्ठावान रहना तथा समाज, राष्ट्र के लिए अपना समय, श्रम व धन अर्पण करने हेतु तत्पर रहना ।
- जरूरतमंदों को दान व दुःखीजनों को सहानुभूति देकर सहायता करना।
- आलोचना में संयम रखना, प्रशंसा में उदार होना ।
(यह आचार संहिता 1918 के अधिवेशन में स्वीकृत की गई)